एक बार एक स्टूडेंट एक अनुभवी टीचर के पास आया और बोला सर “मैंने बहुत सारी किताबें पढ़ी हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर को भूल गया हूँ। मेरे इतनी सारी किताबें पढ़ने का फायदा क्या है? “।

टीचर ने उस समय उन्हें कोई जवाब नहीं दिया।
कुछ दिनों के बाद टीचर ने उस छात्र को एक छलनी दी जो गंदे और बहुत खराब स्थिति में थी टीचर ने इस छलनी में छात्र को पास की एक नदी से पानी लाने को कहा।
छात्र को यह आईडिया पसंद नहीं आया लेकिन वह अपने टीचर को मना नहीं कर सका।
वह नदी पर गया, नदी में छलनी को डुबोकर पानी भर लिया और अपनी वापसी की यात्रा शुरू कर दी।
कुछ ही दूर चलने पर छलनी का सारा पानी छिद्रों के माध्यम से बह गया।
फिर दोबारा वह नदी पर गया और छलनी भर दी।
उसने पूरे दिन ऐसा किया लेकिन अपने टीचर द्वारा सौंपे गए कार्य को पूरा नहीं कर सका।
वह उदास चेहरे के साथ टीचर के पास लौटा और कहा “मैं इस छलनी से पानी लाने में असमर्थ हूँ। मैं असफल हूँ ”।
टीचर उसे देखकर मुस्कुराया।
नहीं! तुम असफल नहीं हुए।
छलनी को देखो।

यह नए जैसा हो गया है। यह तब साफ हुआ जब तुम पानी लाने की कोशिश कर रहे थे।
टीचर ने तब इस कार्य के पीछे के असली मकसद को समझाया।
उन्होंने कहा, “पिछली बार जब तुमने मुझसे पूछा था कि अगर आपने जो पढ़ा है उसे याद न रखें तो पढ़ने का उद्देश्य क्या है”।
अब छलनी के इस उदाहरण को लेते हैं।
छलनी = मन( ये तुम्हारा मन है )
पानी = ज्ञान (ये ज्ञान का भण्डार है )
नदी = पुस्तक (ये नॉलेज का सोर्स है )
भले ही आपको सबकुछ ठीक ठाक से याद न हो!
लेकिन पढ़ने से आपका दिमाग तेज जरूर हो जायेगा और किताबें हमारें मन और दिमाग पर एक गहरा प्रभाव पैदा करती है |यह खुद को एक बहुत बेहतर इंसान बनाने में मदद करती है
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