आजकल गूगल हमारी छठी इंद्रिय है. सिक्स्थ सेंस. हमारा टीचर. दूरसंचार. मैनेजर. फ्रेंड, फिलॉस्फर, गाइड… सब. गूगल का सहारा सिर से उठ जाए, तो लगेगा कि आंखें गायब गईं. पहले लोग जिन बातों के लिए घंटों लाइब्रेरी की खाक छानते थे, वो सब गूगल एक क्लिक में कर देता है. ऑफिस में, क्लास में, बिस्तर पर, बाथरूम में. कहीं भी. जेब में फोन रखो, तो फोन के अंदर बंद गूगल का जिन्न साथ टहलता है हमारे. जहां चाहो, स्क्रीन पर उंगली रगड़ो और सारे सवालों का जवाब मिल जाएगा. हमारे हर काम आने वाले रहनुमा की भले कोई सीमा न हो, मगर हमारे सर्च की कुछ लिमिट होनी चाहिए. कुछ चीजें हैं, जो हमें कतई गूगल सर्च नहीं करनी चाहिए. करोगे, तो गूगल जवाब देगा. मगर न करो, तो हमारा ही भला होगा. बहुत टोह-टोहकर, दिमाग पर जोर डालकर ऐसी छह चीजों की लिस्ट तैयार की है. इसको पढ़िए और गांठ बांधकर रख लीजिए.यहाँ हम आपको बता रहे है की गूगल पर क्या सर्च नहीं मारना चाहिए?
कुछ ऐसी चीजें हैंअगर जिन्हें आप Google पर Search करेंगे तो आपको हमेशा के लिए तकलीफ हो जाएगी
अपना ईमेल आईडी और अपना मोबाइल नंबर
ये अपनी प्राइवेसी में स्पैम को आमंत्रण देने जैसा है और साथ ही आपका डाटा लीक होने की संभावना बहुत बढ़ जाएगी
खुजली जैसी स्किन संबंधी बीमारियाँ क्या है ? (Dermatological Disorders)
आपको ऐसी ऐसी भयानक तस्वीरों वाला सर्च रिज़ल्ट सामने आएगा आपके दिमाग (Mood ) का सत्यानाश हो जाएगा ! बेहतर है ऐसी चीजों को गूगल पर खोजने से दूर ही रहे
किसी बीमारी या वायरस के लक्षण क्या है
किसी भी बीमारी या वायरस जैसे कोरोना के लक्षण के बारे में कभी भी भूलकर सर्च मत कीजिए, उस बीमारी के लक्षण पढ़ते पढ़ते एक वक्त ऐसा जरूर आएगा जब आपको लगेगा कि आपको वो बीमारी हो गई है
अपने किसी डर को जानना
जैसे ऊंचाई से आग से या फिर किसी अन्य चीज से , किसी भी तरह के डर को कभी सर्च मत कीजिए नहीं तो गूगल अपने सर्च रिजल्ट्स से ये साबित कर देगा कि आपको ये मानसिक डिसऑर्डर है |
आपको डॉक्टर बनना हो, तो गूगल का सहारा मत लीजिए MBBS कीजिए
कोई बीमारी हो, तो डॉक्टर के घर जाना चाहिए. खुद डॉक्टर नहीं बनना चाहिए. पुराने लोग भी कह गए हैं- जिसका काम, उसी को साजे. थोड़े पैसे बचाकर इधर-उधर से दवाई खाना आपको वॉरेन बफे कतई नहीं बनाएगा. शरीर का नुकसान तो होगा ही, साथ में बीमारी बढ़ गई तो ज्यादा पैसे खर्च होंगे. गूगल के पास हर मर्ज का इलाज है. मगर ये इलाज नीम-हकीम भी होता है. उसको करना और फलां नदी पर बने फलां पुल के पाया नंबर तीन के नीचे बैठे शर्तिया इलाज वाले हकीम साहब से दवा लेना एक बराबर है. अपनी और अपने परिवार-प्यार-दोस्त की परवाह कीजिए और गूगल पर बीमारी का इलाज सर्च मत कीजिए
दवाइयां
अगर आपकी तबीयत खराब है और आप गूगल के जरिए लक्षणों के आधार पर यह पता लगाना चाहते हैं कि आप कौन-सी बीमारी से संक्रमित हैं। साथ ही गूगल पर उस बीमारी से ठीक होने के लिए दवाइयां सर्च कर रहे हैं, तो ऐसा न करें। गलत दवाइयों का सेवन करने से आपकी तबीयत और खराब हो सकती है। इसलिए जब भी आपकी तबीयत खराब हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
गर्भपात कैसे करें
आगे कुछ कहने से पहले ये बता दें कि शादी से पहले सेक्स करना गैरकानूनी नहीं है. शादी के पहले प्रेग्नेंट होना भी गैरकानूनी नहीं है. ये जान लिया, तो आगे पढ़िए. अगर बिना प्लानिंग के प्रेग्नेंट हो जाएं, तो डॉक्टर के पास जाकर सुरक्षित तरीके से अबॉर्शन कराएं. डॉक्टर आपकी पहचान सार्वजनिक नहीं कर सकते. इसमें बहुत पैसे भी नहीं लगते. ‘हाऊ टू अबॉर्ट’ टाइप करके गूगल पर गर्भपात के तरीके खोजना जानलेवा है. ये आपको ‘पका पपीता खाने से बच्चा गिर जाता है’ जैसी चीजें भी बताएगा. आपको अंदाजा भी नहीं कि उल्टी-सीधी दवाएं खाकर अबॉर्शन करने की कोशिश आपको कितनी बड़ी मुश्किल में फंसा सकती है. जान तक जा सकती है. बहुत किस्म के साइड इफेक्ट हो सकते हैं.
भूलकर भी गूगल पर सर्च किया ये सामान तो आपको जेल में बंद कर देगी पुलिस
चाइल्ड पॉर्न
पॉर्न देखने में कोई खराबी नहीं, मगर इसमें भी कुछ है जो बेहद गलत होता है. जैसे- चाइल्ड पॉर्न. छोटे मासूम बच्चे अपने लिए क्या फैसला करेंगे? इसके लिए बच्चों को किडनैप किया जाता है. उनकी खरीद-फरोख्त होती है. उनके ऊपर जुल्म होता है. क्या ऐसी किसी चीज में आनंद तलाशा जा सकता है? इंसान होंगे, तो इसका जवाब देंगे- नहीं. मगर कुछ लोग इंसान होकर भी इंसान नहीं होते. उन्हें गैर-मानवीय चीजों में भी मजा आता है. ऐसों के लिए कानून बना है. चाइल्ड पॉर्न बनाना या देखना, दोनों गैरकानूनी है. ऐसा करने वाले अगर पकड़े गए, तो उनको सजा होती है. सरकार ने नियम सख्त कर दिए हैं. गूगल पर सर्च करने से आप छुप नहीं सकते. आपका आईपी अड्रेस आपकी पहचान भी तो होता है. माने, चाइल्ड पॉर्न जैसी चीजें सर्च करना आपको जेल भी पहुंचा सकता है.
बम बनाने का तरीका
आतंकवाद बहुत बढ़ गया है. ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता, जब दुनिया के किसी हिस्से में कोई आतंकी वारदात न हो. इनसे निपटने के लिए सरकारें भी खूब मुस्तैद हो गई हैं. बहुत तैयारी कर रही हैं. इन तैयारियों का एक बड़ा हिस्सा इंटरनेट और सोशल मीडिया पर खर्च हो रहा है. की -वर्ड्स की एक लंबी लिस्ट होती है सुरक्षा एजेंसियों के पास. इधर आपने वो सर्च किया और आप उनके रडार पर आ गए. ‘हाऊ टू मेक अ बॉम्ब’ जैसे की-वर्ड्स इस लिस्ट का हिस्सा हैं. किसी भी तरह के अपराध या आतंकवाद से जुड़ी चीजें गूगल सर्च करने से आप मुसीबत में फंस सकते हैं. फिर चाहे आपने बस जिज्ञासा में आकर क्यों न सर्च कर लिया हो. ‘प्रेशर कूकर बॉम्ब’, ‘बैकपैक बॉम्ब’, ‘हाऊ टू प्रिप्रेयर फॉर लोन वुल्फ अटैक’, ‘हाऊ टू जॉइन ISIS’, ‘हाऊ टू डिरेल अ ट्रेन’, ‘हाऊ टू अटैक अ एयरक्राफ्ट’, जैसी दो-कौड़ी की चीजें कतई सर्च मत कीजिएगा. ऐसी चीजें सर्च करने पर लोगों को पुलिस पकड़ भी चुकी है, वैसे ऐसा विदेशों में ही हुआ है, लेकिन हमें पक्का यकीन है कि भारत का पहला केस आप नहीं बनना चाहेंगे.