गुरु नानक जयंती 2020 -Guru Nanak Jayanti

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guru nanak jayanti 2020

गुरु नानक जयंती, जिसे गुरुपर्व या प्रकाश उत्सव के नाम से भी जाना जाता है, सिक्ख धर्म में सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है।

गुरु नानक देव जयंती 2020: इस साल गुरु नानक जन्मोत्सव 30 नवंबर को मनाया जाएगा। गुरु नानक जयंती या गुरुपर्व गुरु नानक की शिक्षाओं का पालन करने के लिए लोगों की श्रद्धा और याद दिलाने का दिन है गुरु नानक गुरुपर्व पहले सिख गुरु, गुरु नानक के जन्म का प्रतीक है। इस वर्ष गुरु नानक की 551 वीं जयंती मनाई जाएगी। यह सिख धर्म में सबसे शुभ और महत्वपूर्ण दिन है। गुरु नानक जयंती 30 नवंबर, सोमवार को पूरे भारत में मनाई जाएगी। दुनिया भर के सिख इस दिन को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं।

Happy Guru Nanak Jayanti

भारतीय चंद्र कैलेंडर के अनुसार, गुरुपर्व की तिथि साल-दर-साल बदलती रहती है। लोग शुभकामनाएँ भेजते हैं, अपने घरों को रोशनी से सजाते हैं और गुरुद्वारा जाते हैं। गुरु नानक जयंती भारत में एक अवकाश है। गुरु नानक गुरुपर्व श्रद्धालुओं के लिए गुरु नानक की शिक्षाओं और उनकी निस्वार्थ सेवा का अनुसरण करने के लिए श्रद्धा और स्मरण का दिन है।

गुरु नानक जयंती 2020 तारीख और समय

गुरु नानक जयंती 2020 में कब हैं? (Guru Nanak Jayanti Date)


गुरु नानक की 551 वीं जयंती
गुरु नानक जयंती सोमवार, 30 नवंबर, 2020 को
पूर्णिमा तीथी शुरू – 29 नवंबर, 2020 को दोपहर 12:47 बजे
पूर्णिमा तीथि समाप्त – 02:59 PM 30 नवंबर, 2020 को

गुरु नानक के जीवन से जुड़ी जानकारी

गुरु नानक के बारे में
जन्म -15 अप्रैल 1469
जन्मस्थान -तलवंडी ननकाना पाकिस्तान
पूण्यतिथि -कार्तिकी पूर्णिमा
मृत्यु -22 सितंबर 1539
मृत्यु स्थान -करतारपुर
स्मारक समाधी- करतारपुर साहिब ,पाकिस्तान
पिता का नाम -कल्यानचंद मेहता
माता का नाम -तृप्ता देवी
पत्नी का नाम- सुलक्खनी गुरदास पुर की रहवासी
शादी की तारीख – 1487
बच्चे – श्रीचंद, लक्ष्मीदास
भाई/बहन -बहन बेबे नानकी
प्रसिद्धी -प्रथम सिक्ख गुरु
रचनायें -गुरु ग्रन्थ साहेब, गुरबाणी
शिष्य के नाम 4 – मरदाना, लहना, बाला एवं रामदास
गुरु का नाम- गुरु अंगद

बिक्रम कैलेंडर के अनुसार, सिख धर्म के संस्थापक, गुरु नानक, का जन्म 1469 में कटक के पूरनमाशी में पाकिस्तान के वर्तमान शेखूपुरा जिले में राय-भोई-दी तलवंडी में हुआ था, अब ननकाना साहिब है।

गुरु नानक जयंती गुरुपर्व का उत्सव कार्तिक पूर्णिमा से कुछ दिन पहले शुरू होता है:
अखंड पथ: गुरु नानक जयंती से दो दिन पहले, गुरु ग्रंथ साहिब, सिखों के पवित्र ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब का अड़तालीस घंटे का गैर-रोक वाला पाठ गुरुद्वारों में आयोजित किया जाता है।
नगरकीर्तन: जन्मदिन से एक दिन पहले, नगरकीर्तन के रूप में जाना जाने वाला एक जुलूस आयोजित किया जाता है, जिसका नेतृत्व पंज प्यारों द्वारा सिख ध्वज लेकर किया जाता है, जिसे निशांत साहिब और गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी (पालकी) के रूप में जाना जाता है।
गुरुपर्व दिवस: गुरुपर्व का दिन सुबह के भजनों के साथ शुरू होता है, इसके बाद गुरु की स्तुति में कथास और कीर्तन का संयोजन होता है। बाद में, गुरुद्वारों में रात के प्रार्थना सत्रों के बाद एक विशेष सामुदायिक दोपहर का भोजन (लंगर) आयोजित किया जाता है।

बाबा गुरु नानक की प्रमुख शिक्षाएं क्या थी?

  • नानक जी ने कहा है कि परम पिता परमेश्वर एक है।  
  • सदैव एक ही ईश्वर की आराधना करनी चाहिए।
  • ईमानदारी और परिश्रम से ही अपना पेट भरना चाहिए। 
  • ईश्वर हर प्राणी, हर स्थान में विद्यमान हैं।
  • किसी को न सताएं, किसी के बारे में बुरा न सोचें।  
  • शरीर के लिए भोजन आवश्यक होता है परंतु आवश्यकता से अधिक संचय न करें। 
  • सांसारिक बातों में इतना मोह न लगाएं की ईश्वर को याद करने का समय न हो
  • लोभ से दूर रहना चाहिए। 

गुरु नानक का उपदेश क्या था?

गुरु नानक जी के उपदेश

गुरु नानक जी की शिक्षा का मूल निचोड़ यही है कि परमात्मा एक, अनन्त, सर्वशक्तिमान और सत्य है। वह सर्वत्र व्याप्त है। मूर्ति−पूजा आदि निरर्थक है। नाम−स्मरण सर्वोपरि तत्त्व है और नाम गुरु के द्वारा ही प्राप्त होता है। गुरु नानक की वाणी भक्ति, ज्ञान और वैराग्य से ओत−प्रोत है।

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गुरु के लंगर की शुरुआत कब हुई ?

बाबा गुरु नानक देव जी ने जात−पांत को समाप्त करने और सभी को समान दृष्टि से देखने की दिशा में कदम उठाते हुए ‘लंगर’ की प्रथा शुरू की थी। लंगर में सब छोटे−बड़े, अमीर−गरीब एक ही पंक्ति में बैठकर भोजन करते हैं। आज भी गुरुद्वारों में उसी लंगर की व्यवस्था चल रही है, जहां हर समय हर किसी को भोजन उपलब्ध होता है। इस में सेवा और भक्ति का भाव मुख्य होता है। नानक देवजी का जन्मदिन गुरु पूर्व के रूप में मनाया जाता है। तीन दिन पहले से ही प्रभात फेरियां निकाली जाती हैं। जगह−जगह भक्त लोग पानी और शरबत आदि की व्यवस्था करते हैं। गुरु नानक जी का निधन सन 1539 ई. में हुआ। इन्होंने गुरुगद्दी का भार गुरु अंगददेव (बाबा लहना) को सौंप दिया और स्वयं करतारपुर में ‘ज्योति’ में लीन हो गए|

वाहे गुरु का आशीष सदा रहे आप पर
मिले ऐसी कामना है हमारी
गुरु की कृपा से आएगी
घर घर में ख़ुशहाली
गुरु नानक जयंती की हार्दिक शुभकामनायें

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लाख-लाख बधाई होआपको
गुरु नानक का आशीर्वाद आपको मिले
ख़ुशी का जीवन से रिश्ता हो ऐसा आपका
दीये का बाती संग रिश्ता जैसा
गुरु नानक जयंती की हार्दिक शुभकामनायें

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